पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।

ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढि़ए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से अतिशयोक्ति अलंकार का एक उदाहरण छाँटिए।


अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण (कविता में से):

() ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।


() वैसोई राज-समाज बने, गज, बाजि घने मन संभ्रम छायो।


() कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।


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